बच्चों के लिए शक्कर जरूरी?
बचपन में मेरा मनपसंद नाश्ता था गुड़ का पराठा. बढ़ते हुए बच्चे को ये खिलाना बिलकुल सही माना जाता था. शादी और एक बच्चे के बाद मुझे महसूस हुआ कि ये सिर्फ उत्तर भारतीय चलन नहीं है.
अगर मेरी मां को सूजी की खीर पसंद थी, मेरी सास की चाहत थी रागी की मीठी कांजी. अगर मेरा बेटा खाने में नखरे करता तो मेरी मां कहती कि उसे चीनी का पराठा दो और मेरी सास का सुझाव होता कि उसे इडली, घी और शक्कर दो.
खाने की चीजें अलग थीं लेकिन संदेश एक ही थी. बच्चों को जब खिलाना हो तो चीनी हर समस्या का समाधान है.
और ‘ज्यादा चीनी अच्छी नहीं है’ की मेरी आपत्तियां ये कहकर खारिज कर दी जातीं कि खेलने-कूदने वाले बच्चों को फर्क नहीं पड़ता. मुझे कहा जाता था कि जरूरत से ज्यादा मत सोचो, बच्चों के लिए थोड़ी शक्कर जरूरी है.
सच पूछिए, तो सच्चाई इससे काफी दूर है. इसे समझने के लिए, पहले देखते हैं कि शक्कर वास्तव में है क्या.
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